इबोला का नया विषाणु मिला, कितना घातक ये पता नहीं

इबोला का नया विषाणु मिला, कितना घातक ये पता नहीं

सेहतराग टीम

सिएरा लियोन की सरकार ने देश में चमगादड़ों में इबोला का एक नया विषाणु पाए जाने की जानकारी दी है। दो साल पहले इबोला के प्रकोप के खत्म होने की पुष्टि की बाद अचानक यहां फिर से नया विषाणु मिलने की खबर सामने आई है। इबोला विषाणु के प्रकोप के चलते पूरे पश्चिम अफ्रीका में तब 11,000 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी।

पांच साल पहले जब इसका प्रसार शुरू हुआ था तब पूरी दुनिया को अलर्ट मोड पर आना पड़ा था। इस विषाणु को फैलने से रोकने के लिए भारत समेत दुनिया के सभी देशों ने अपने हवाईअड्डों, बंदरगाहों पर पूरी तरह सतर्कता बरती थी और बीमारी से संक्रमित होने का जरा सा भी संदेह होने पर संदिग्‍ध मरीजों को तुरंत एकांत में रखा जाता था ताकि दूसरों में ये बीमारी न फैले।

इस बीमारी के साथ बुरी बात ये है कि इसका संक्रमण इलाज करने वालों में भी तेजी से हो जाता है। बीमारी के महामारी का रूप लेने के बाद इसका टीका बनाने की कोशिशें शुरू हुई और दो साल पहले इसमें कुछ हद तक कामयाबी मिल गई। इसके बाद धीरे-धीरे इस वायरस का प्रकोप कम हो गया। अब नए सिरे से इसका वायरस मिलने से खतरा एक बार फ‍िर सर पर मंडराने लगा है।

हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि विषाणु की नई बोमबली प्रजाति घातक इबोला बीमारी का रूप ले सकती है या नहीं। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि यह विषाणु मनुष्यों तक फैल सकता है। 
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी अमारा जाम्बई ने कल कहा था, ‘इस वक्त यह नहीं पता चल सका है कि यह इबोला वायरस लोगों में फैला है या इससे लोगों में कोई बीमारी हुई है लेकिन यह मनुष्य की कोशिकाओं को संक्रमित करने में सक्षम है।’ 

जाम्बई ने कहा कि यह शुरुआती चरण की खोज है। साथ ही उन्होंने आगे इस संबंध में अनुसंधान पूरा होने तक लोगों से शांत रहने की अपील की है। स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता हरोल्ड थॉमस ने कहा कि एहतियाती तौर पर लोगों को चमगादड़ खाने से बचना चाहिए।

इबोला का सबसे भयंकर प्रकोप दक्षिणी गिनी में दिसंबर 2013 से फैलना शुरू हुआ था जो बाद में दो पड़ोसी पश्चिम अफ्रीकी देशों - लाइबेरिया और सिएरा लियोन तक फैल गया था। इस विषाणु के सं‍क्रमित लोगों में तेज बुखार के साथ इंफ्लुएंजा जैसे अन्‍य लक्षण उभरते हैं मगर ये बेहद खतरनाक बीमारी है क्‍योंकि इसमें आमतौर पर आंतरिक रक्‍तस्राव होने का खतरा रहता है और इसके कारण मरीज की मौत तक हो सकती है।

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